Madhu Arora

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लेखनी प्रतियोगिता -नाव

नाव

जिंदगी की नाव के,
 तुम  ही खेवनहार हो।
 आप ही दातार हो,
 आप पालनहार हो।
 सूझता कुछ भी नही,
 बिन आपके कुछ भी मुझे।
 थाम लो पतवार आकर,
 आप तारणहार हो।
 डूबती नैया मेरी,
 लोभ ईर्ष्या में फंसी।
 कैसे उतरुँ  पार में,
 आकर बचा लो आप ही।
 काम क्रोध न मुझको घेरा,
 अपनी ओर मुझे है खींचा।
 बचा लो आकर आप ही‌,
 विषय विकारों के जाल से।
 जिंदगी की नाव मेरी,
 आपके ही हाथ है।
 पार उतारो या डूबा दो,
 शरण आपकी आज हूँ।
           रचनाकार ✍️
           मधु अरोरा
           21.3.२०२२
        प्रतियोगिता हेतु
 
 
 

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7 Comments

Shrishti pandey

22-Mar-2022 09:24 AM

Nice

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Abhinav ji

22-Mar-2022 08:59 AM

Nice👍

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Seema Priyadarshini sahay

22-Mar-2022 01:26 AM

बहुत खूब

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